नकल का परिणाम
नकल का परिणाम
आओ बच्चों आज तुम्हें,
नई कहानी सुनाती हूँ।
लघुकथा के माध्यम से,
सदगुण नया सिखलाती हूँ।।
एक मदारी का बंदर,
रोज नाच दिखाता था।
बच्चों और बड़ों के,
कंधे पर चढ़ जाता था।।
एक गधे ने बन्दर को,
ऐसा करते देखा ।
मैं भी लोगों के कंधे चढूँ,
ऐसा उसने सोचा।।
अगले दिन गधा भी,
भीड़ के सामने आया।
पर उसका अटपटा तेवर तो,
किसी के मन ना भाया ।।
गधा किसी के कंधे चढ़ता,
इससे पहले मालिक उसका आया।
पीट-पीटकर उस गधे को,
मालिक ने लाचार बनाया।।
किसी की देखा सीखी में प्यारे,
मत करना ऐसा काम ।
जिसके कारण सभी के समक्ष,
तुम्हें होना पड़े बदनाम।।
बिना अक्ल के नकल के कारण,
गधे का हुआ यह हाल।
सोच-समझकर काम करो,
जीवन होगा खुश हाल ।।