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Sweta Kansal

Fantasy

3  

Sweta Kansal

Fantasy

साजिश

साजिश

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कल रात ना जाने
बादलों के बीच क्या साजिश हुई
मेरा ही घर मिट्टी का था
उस पर ही बारिश हुई!

गरज – गरज के बदल बोले
बरस – बरस के बदल बोले
ना थी कोई साजिश, ना कोई चाल
ये तो था तक़दीर का खेला
इसलिए तेरे ही घर बारिश हुई!!

हैरान है वो, परेशान है वो
तक़दीर के इस खेल से
जीवन भर की कमाई पर
पानी फिर गया,

ऐसा क्या किया था मैंने
जो मेरे ही घर बारिश हुई

बदलों के बीच युद्ध हो गया
बरसात को तेज़ करने
का एक बहाना मिल गया
साजिश तो थी इन्हीं की

पर जताया ना गया
तक़दीर को नाम देकर इसका
ऐसी घनघोर बारिश
मेरे ही घर पर हुई!!

 

 


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