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Sweta Kansal

Drama Fantasy Abstract

1.2  

Sweta Kansal

Drama Fantasy Abstract

सपनों की दुनिया

सपनों की दुनिया

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मेरे अपनों की एक दुनिया में

मेरे खिलौनों की एक दुनिया थी

गुड्डा-गुड्डी, राजा-रानी

हाथी, घोड़ा इनकी एक

पहचान थी

 

दौड़-दौड़ के खेल में

हाथी मेरा थक गया

घोड़ा मेरा जीत गया

हार-जीत के खेल में

इंसान पीछे रह गया

 

खिलौंनो की दुनिया भी

दुनिया के दस्तूर से बँधी थी

गुड्डा-गुड्डी की शादी

बड़ी धूम-धाम से हुई थी

 

गुड्डा-गुड्डी हैरान थे

एक दूसरे से अंजान थे

गुड्डा मेरा समझदार था

दोस्ती के लिए वो तैयार था

 

गुड्डा-गुड्डी बन गये दोस्त

खिलौंनो की दुनिया को

मिल गये थे नये दोस्त

 

इस दुनिया का मौसम

बदल रहा था

एक नयी सुबह का सूरज

यहाँ उगने लगा था

 

गुड्डी को रहता हमेशा

अपने गुड्डे का इंतज़ार था

एक दिन गुड्डा घर ना आया

गुड्डी का मन घबराया

अचानक बदलो का शोर हुआ

घमासान बारिश ने

गुड्डी के घर को डुबो दिया

 

गुड्डी रोती रही रात भर

गुड्डे को पुकारती रही रात भर

पर उसका गुड्डा लौट के ना आया

उसके मरने की खबर.ने

उसका दिल बहलाया

 

गुड्डी भी होश में ना रही

गुड्डा उसका टूट गया

गुड्डे की बेरूख़ी देख कर

गुड्डी मेरी रूठ गयी

मेरे खिलौंनो की दुनिया

एक सपना बन के रह गयी

 

दुनिया के दस्तूर ने

मेरी दुनिया को उजाड़ दिया

गुड्डा-गुड्डी को अलग कर

मेरी दुनिया में

पतझड़ का मौसम ला दिया


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