साइंस फिक्शन
साइंस फिक्शन
धुंधली सी परछाई मेरी तरफ खिंची आ रही,
आंखों में अजीब सी लालिमा केश लंबे और गहरे,
हाथों अजीब और कपड़े फटे पुराने उसके,
होंठों पर भयानक हंसी और पैरों की चाल टेढी मेढी,
बढ़ रहा तेजी से मेरी तरफ,
देख उसे मानो अजीब सी बिचलन हुई,
आंखें खुली की खुली और जुंबा ठहरी सी,
और दिल वहीं थम गया और शरीर शिथिल हो गया,
घंटों तक उभरा नहीं उस स्वप्न से,
मानो आंखों पर उसका ही पहरा हो,
हर तरफ वहीं मेरे पास आना चाह रहा हो,
कौन था आखिर वो भयानक शक वाला।