रूठना
रूठना
रूठना भी जरूरी है अपनों को अजमाने के लिए पर रूठ कर मान जाना एक अदा है मुस्कराने के लिए।
मत उलझिए उलझनों में इतना कि वक्त ही न मिले हंसने हंसाने के लिये।
काम ऐसा कर चलो कि नाम जिंदा रहे सदियों तक कुछ दिखाने के लिये ।
करो गिले शिकवे भी अपनों से कुछ दिल के अरमां दिखाने के लिये पर वक्त रखो
फिर से गुल मिल जाने के लिये थोड़ा वक्त निकालो अपनों को मनाने के लिये।
क्या पता कब जिंदगी की शाम हो जाये सुदर्शन, मत करो बर्बाद वक्त रूठ जाने के लिये कयोंकी अब रहा नहीं दर्द इंसान के पास इंसान को मनाने के लिए।
मिली है जिंदगी इंसान की अगर निभाते रहो भाईचारा
आने जाने के लिये हो सके तो
गैरों को भी गले लगाओ मुस्कराने के लिये।
कर लो भला भलाई के लिये मत जताओ अपनी हैसियत
बताने के लिये, इंसान ही इंसान के काम आता है क्यों बर्बाद करते हो जिंदगी नफरत फैलाने के लिये।
पल पल कीमती है जिंदगी का, मत गवाओ इसे रूठने मनाने के लिये, कर लो मदद
इस कदर सुदर्शन रहे न भुखा नगन कोई इस जमाने के लिये।
खाली हाथ आया खाली हाथ जायेगा कुछ कर ले प्रभु को
मुख दिखाने के लिये, नेकी वदी साथ जायेगी तेरे बन्दे
फिर क्यों शौक है तुझे किसी को सताने के लिये।