रूह की प्यास बुझेगी
रूह की प्यास बुझेगी
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बेख़बर नहीं तूँ मेरे
सिसकते अरमानों से
वाकिफ है तू मेरे जज्बातों से।
जिस जिस्म में कैद है
मेरी यह तड़पती रूह
तोड़ दे इस जिस्म की दीवार को।
उतर जा तूँ मेरी इस रूह में
जन्मों की प्यास बुझेगी
इस रूह के मिलन से l
रूह से रूह का वास्ता तों निभा
रूह से रूह की मुहब्बत
अक़ीदत से तो निभा।
मेरी मुहब्बत का पैगाम
जो भेजा था मेरी रूह ने
शायद पहुँचा ही नहीं
जिस्म की दीवार के उस पार
तेरी रूह तक।
मिलने की तड़प का
और इम्तिहान न ले
तोड़ दे इस जिस्म की
दीवार को।
उतर जा तू
मेरी इस रूह में
जन्मों की प्यास बुझेगी
इस रूह के मिलन से l