रुकिये
रुकिये
रुकिये और सुनिये
आप के शोर में
चीखती हुयी खामोशी को,
कोई और बोल रहा है
आप के सिवाय
कोई और जी रहा है
आप के सिवाय
आप भीड़ है
और वो अकेला है
सोचिये
एक एक आदमी से भीड़ है
और भीड़ के बिना
आप भी अकेले हैं
और आप का सच भी
कोई सुनने वाला नहीं है
सरकार तो बिल्कुल ही नहीं
अगर ये भीड़ सरकार बनाने
नहीं जा रही है तो।