STORYMIRROR

Archana Tiwary

Abstract Others

4  

Archana Tiwary

Abstract Others

रो पड़ती है

रो पड़ती है

1 min
278

दर्द जब सहन न होता

     रो पड़ती है स्त्रियां

रो कर आँसुओं संग

    बहा देती है 

कतरा दर्द का

   चाहती है आए कोई चुपके से

आँसू न पोंछे तो

    कोई बात नहीं पर

दर्द की वजह पूछे

  टुकड़ा छोटा सा दर्द का 

है जो दिल में छिपा

  आँसुओं संग बह न पाया जो 

अब तक 

   निकाल उसे 

बोले दे

प्यार भरे दो शब्द

  चीख की आवाज़ 

जो न सुन पाया कोई 

    अब तक

  एक बार सुन 

सहला दे हौले हौले

सिर रख कंधे पर

    फिर फिर 

हो जायेगी

  खुश उस पल


    



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract