रंग के द्रव्य...संघबद्वता !!!
रंग के द्रव्य...संघबद्वता !!!
रंग के द्रव्य...संघबद्वता !!!
हर रंग है आनंद का सोत्र
सिंदूरी से वसंत
बहुत अनमोल,
नीला आकाश और धरती
धानी, कंजी आंखें और
मीठी वाणी,
सतरंगी अतरंगी सपनों का
रंग, विरह में छलके
छीज का म्लान,
खटवांगी के डमरू का रंग,
वैकुंठ का सुंदर
श्याम रंग,
भाषा का भी है अनोखा रंग,
उर्दू का मीठा तो हिंदी
का है कौतुक रंग,
राधा के अधरों का अरुण
और मीरा के भजन
का विस्मयकारी
रंग,
वृन्दावन के अबीर, गुलाल
का रंग, वैदेही के प्रेम
का निष्कलंक
रंग,
उषा का सुंदर स्वर्ण रंग,
बिकेश का स्नेही,
कौमुदी रंग,
वर्षा ऋतु का प्रिय तारूण्य
रंग, ग्रीष्म ऋतु को वर्ण
देता पलाश का
रंग...
जीवन के स्वप्नों को रंगता
मानवता का रंग, नए
उद्देश्य का चित्रण
करता...
सामंजस्य और संयुक्त
का रंग... सब को एक
सत करता...
प्रिय रंग...संघटित!!!