Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Randheer Rahbar

Classics

5.0  

Randheer Rahbar

Classics

रंग बदलता अनूठा बचपन

रंग बदलता अनूठा बचपन

1 min
360


हुआ आगमन नन्हे शिशु का,

ऑंखें मुंदी, कोमल देह गुलाब पंखुड़ी-सा !

निशि - वासर , मोड़ - विमोद तुल्य सब,

नहीं ज्ञात , कब जागे, सोये कब !


जननी के स्वास का अहसास,

दिल की धड़कनो के पास,

गोद में जब उठाये वह,

मंद - मंद मुस्कान होठों पर लिए,

करता जग का उपहास !


खुले नेत्र !

पहली किरण पड़ी नेत्र पट पर जब,

जान गया वह उस माली को,

जन्मा था जिसने,

उस बचपन -सी डाली को !


पला - बढ़ा तब कमल नाल सा बचपन ,

रंग बदलता , अनूठा बचपन !


मुस्कान वो पहली मुख पर जब छाई,

किलकारी वो पहली अधरों पर जब गाई !

घुटनों के बल ,

सरक - सरक चलना सीखा ,

गिर -पड़ तब संभालना सीखा !


पहली बार जब मुख खोला,

तुतला कर जब "माँ" बोला !

चहल - पहल थी अब माली की बगिया में,

फूल खिला, कच्ची कोंपल वाली डाली में !

 

अपने - पराये की पहचान,

अब होने लगी है,

वो मासूमियत सी,

अब खोने लगी है !

भोर रूपी बचपन अब दुपहरी में लगा ढलने,

अपनापन अब गैरत में लगा बदलने !


फूलों के संग काटें भी हैं,

पहनी बचपन ने मनुज रुपी अचकन,

रंग बदलता, अनूठा बचपन !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics