रक्तबीज की रानी
रक्तबीज की रानी
रक्त खून से अपनी गाथा लिख गई वह दीवानी थी
रणभूमि की अमर गाथा से यही उसकी निशानी थी
भिड़ गई अपनी आन की खातिर
वो रक्तबीज की रानी थी
हाहाकार मचाए चली आ रही
वो सच में नारी मर्दानी थी
कब तक जुल्मों की आंधी होगी
वो वतन रख वाली थी
नर मुंडो की माला पहने
चली आ रही वो रक्षारानी थी
बलिदानी की अमर है गाथा
वो हर मानव की महारानी थी।