रजनी
रजनी
श्वेत रजनी सा मुख तेरा
रश्मि जैसी मुस्कान ।
कमल जैसे कपोल तेरे
मधु जैसी मीठी वाणी
पुकार रहा मुझे
सरोवर में कल-कल बहता पानी।
नभचर बन के, वायु में
घोल रही मलय वाणी।
न जाने कब से प्रतीक्षारत है,
मिलन के लिए, चकोर से चांदनी।
आशा है कभी न कभी,
पूर्ण होगी तेरी मेरी कहानी।