युद्ध का उन्माद।
युद्ध का उन्माद।
युद्ध की रणभेदी बजने लगी है।
सेनाएं सारी सजने लगी हैं।
अस्त्रों-शस्त्रों का बोल-बाला है।
कुछ क्षणों में ही, मुस्कुराती ज़िंदगी,
मरघट में बदल जाने वाला है।
युद्ध का उन्माद लोगों पर छाने लगा है।
किताबों की जगह बंदूकों को अपनाने लगा है।
रॉकेट लॉन्चरों और गोलियों की ध्वनियों से
सारा वातावरण गूँजने लगा है।
हर-एक मासूम व्यक्ति,
किसी तरह बंकरों में जीवन बचाने में लगा है।
युद्ध पर जाते सैनिक अंतिम विदा ले रहे हैं।
राष्ट्र की सुरक्षा के लिए परिवार पीछे छोड़ें जा रहे हैं।
एक सैनिक से उसकी पुत्री ने पूछा-
आप युद्ध पर क्यों जा रहें हैं?
हमें डर लग रहा है!
हमें किसके भरोसे छोड़े जा रहे हैं?
सैनिक निरूत्तर ही रहा।
आंसुओं को पोछा,
माथे को चूमा, शस्त्र सम्भला और आगे बढ़ गया।
