रिवायत
रिवायत
एक झूठ में हैं छुपी, ढेरों रिवायतें यहाँ,
झूठ को सच बनाने की , है ढेरों कहावतें यहाँ।
हर शख्स बेचैन है , न नींद है न चैन है,
हर सिंघासन में दबी, अपनों की ही लाशें यहाँ।
एक झूठ में हैं छुपी, ढेरों रिवायतें यहाँ....
फायदों की शतरंज है, प्रेम अब जंजाल है,
रिश्तों की बिसात पर , है बना घर जेल यहाँ।
एक झूठ में हैं छुपी, ढेरों रिवायतें हैं यहाँ....
सत्ता बड़ी अब हो गई, तंत्र पैरों तले पड़ा है,
वेदना की बात पर, हर शख्स मौन खड़ा यहाँ ।
एक झूठ में हैं छुपी, ढेरों रिवायतें यहाँ.....
विषधरों के शहर में है, हैं शातिरों के शामियाने,
कटीली झड़ियों सी, है इंसानी फितरत यहाँ।
एक झूठ में हैं छुपी, ढेरों रिवायतें यहाँ.......
सच यहाँ सहमा पड़ा है, जंजीरो में जकड़ा खड़ा है,
सच को अब झूठ कहना, आम रिवायत है यहाँ।
एक झूठ में हैं छुपी, ढेरों रिवायतें यहाँ.......