रिश्ता
रिश्ता
किस रिश्ते में बांधूं तुमको बोलो जी
किधर बिठाऊं दिल में तुमको बोलो जी।
दिल का कोना कोना मिट्टी की भीतें
कहां सजाऊं सोना कुछ तो बोलो जी।
हद की हर ज़द में हूं मैं रहने वाला
बाहर हद से जाऊं कैसे बोलो जी।
नहीं है कोई साधन ना है सावन ही
कैसेअभिनंदन हो तेरा तुम बोलो जी।
आना जब मधुमास लगे मेरे प्रियवर
नेह निमंत्रण है मेरा तुम ले लो जी।
हृदय मेरा मंदिर, उसमें तेरी मूरत
मधुर मनोहर नयन कभी तो खोलो जी।
मिलती रहे तेरी संगत की नेमत जी
रंगत बस अपनी तुम दे दो श्यामल जी।

