बचपन
बचपन
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कोई डाह नहीं बचपन कुछ ऐसा था,
नहीं प्रपंच कोई बचपन कुछ ऐसा था।
खुशियाँ मिलती थी आने दो आने में,
मोटू-पतलू की बातें बतियाने में।
लखटकिया बातें बातों का कोष बड़ा,
दो पल से ज्यादा न कोई स्वार्थ लड़ा।
कोई कर्ज़ नहीं बचपन कुछ ऐसा था,
कोई डाह नहीं बचपन कुछ ऐसा था।