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Zubin Sanghvi

Fantasy Others

4  

Zubin Sanghvi

Fantasy Others

रिमझिम रिमझिम

रिमझिम रिमझिम

2 mins
248


घने काले बादलों और ठंडी लहराती हुई पवन को है अब जो मिला तेरा साथ,

हरियाली और खुशहाली भरी झूम कर आ गयी फिर बरसात।

 

बिजलियां सी कड़कने अब है फिर से लगी,

भीगे भीगे इन पलों में परप्ती फिर है कहीं कोई एक दिल्लगी। ।

 

पेड़ पौधों को फिर एक बार है सृष्टि ने जो सजाया,

आस पास हरियाली ना देख, इनके महत्व को भी बरसात ने ही समझाया। 

 

भीगी मिट्टी की खुशबु से हवा में है नयी उमंग,

मेरी छोटी सी पेपर बोट भी चली अब इन बारिश की लहरों के संग। ।


बरसते हुए पानी को देख जो हुआ है खुश हर एक किसान,

हल का हल तो यहां फिर भी छल है यारों, और हम कहें जय जवान जय किसान। ।

 

वो रेनकोट पहने स्कूल जाते हुए बच्चों की मासूम मस्तियाँ,

याद आ गया अपना भी बचपन,

न जाने कहां बिखर से गये मेरे भी वो दोस्त और मेरे बचपन की हस्तियां।।

 

कीचड़ में रेंगना और भिंगना दिन भर उस बरसात में,

मन तो बादलों को देखकर आज भी हुआ, बस थे सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप अब साथ में। ।


सावन का महीना, पवन करे शोर,

पानी जो भी बरसा है मुंबई में, चला वो मिलन सबवे की ओर। ।।

 

बारिश जब जब आती है, मिट्टी की सुगन्ध फैलाती है,

और मुंबई वाले पूछते है, हमारी ट्रेन को क्यूं नहीं लाती है।।

बारिश की पहली बूंदें भी पतझड़ के प्रहार भगाती है,

और मुंबई वले फिर पूछे, ये ट्रैफिक कहाँ से आती है। ।

 

बारिश में पहाड़ों पर भी जो नये फूल खिल खिलाए,

घर बैठे मन मुस्कराया, जब माँ के हाथों के गरम गरम पकौड़े खाये। ।

 

रिमझिम रिमझिम जब बरखा है आई, प्रकृति भी आज है कैसी ये मुस्कराई,

जहां भी ये नज़र जो ठहरी, हर एक पहाड़ से एक नहर लहराई। ।


बरसात का मौसम हम सबको ही है भाता,

किसी को पसन्द है बिजली का शोर, तो किसी को रिमझिम भरा सन्नाटा। ।

 

लिखना तो चाहता हूं और भी इस पगली रिमझिम के बारे में,

दिल ने कहा आज भीग ले प्यारे, कल से तो बैठना है ऑफिस की चार दीवारों में। ।


 



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