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रीति-रिवाज

रीति-रिवाज

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समयानुसार करें संशोधन,

चलते आज जो रीति रिवाज।

हितकर रीति निभाते जाएं,

और निकृष्ट को तज दें आज।


अनुभव मिला जो आदिकाल से,

और जिसका प्रचलन जारी है। 

निभाते जाएं वे रिवाज हम,

शिव के सम जो सबके हितकारी हैं।

ये तो निर्विवाद शुभकर हैं,

इनकी शुभता पर सबको है नाज़।

समयानुसार करें संशोधन


है गतिमान जगत ये सारा,

स्थिर कुछ नहीं रहता है।

कर लेवें संशोधन रिवाज में ,

वक्त जैसा भी कहता है।

पछताना न पड़े बाद में,

कर लें परिवर्तन तुरत ही आज।

समयानुसार करें संशोधन


अभी त्याग दें वे रिवाज सब ,

जो नहीं अब उपयोगी हैं।

स्वार्थ भाव जो छिपा हो,

जिनमें उनका हित जो भोगी हैं।

छोड़ें सारी बुरी रीतियां,

शुभ रीति सफलता का हैं राज।

समयानुसार करें संशोधन


                   


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