रिहाई
रिहाई
दिल, जिंदगी से रिहाई चाहता है
इस मतलब परस्त दुनिया से जुदाई चाहता है
दिल, जिंदगी को जान से ज्यादा प्यार करता है
अपने से ज्यादा, अपनी साँसों पर एतबार करता है।
दिल, तकलीफों से रिहाई चाहता है
ताउम्र के लिए उनसे जुदाई चाहता है
तकलीफें तो, जिंदगी में क्षणिक तूफान है
बस पल दो पल के लिए बिन बुलाया मेहमान हैं।
दिल, जिंदगी के बँधनों से रिहाई चाहता है
उन बँधनों को सौदाई कहता है
बँधनों से ही, जिंदगी आबाद है
वर्ना जिंदगी केवल दबी-घुटी आवाज़ है।
दिल की संकीर्ण गलियाँ गाती हैं
रिश्ते-नातों से रिहाई चाहती हैं
रिश्ते-नाते तो बगिया के फूल है
वर्ना जिंदगी की कली अधखिली शूल है।
जिंदगी निशाद के गुलदान से रिहाई चाहती है
शाद के गुलदान में कैद होना चाहती है
जिंदगी उसका दिया तिरोहित नज़राना है
अदब रंग का पुरोहित खजाना है।
