रहस्य
रहस्य
गोपनीय जो रहा सर्वदा,
भय का वह संचार करे !
है रहस्य का जन्म यहीं से ,
जन मन यह स्वीकार करे !!
कथा, कहानी, भेद भरे हों,
यह रुचिकर बन जाते हैं !
बीता कल या वर्तमान हो,
हमसे जुड़ ही जाते हैं !
गहरी श्वांसे मन भरता है,
काया जाए है सिहरे !!
महल, किले हों, भवन पुराने,
हैं रहस्य में सिमटे से !
अँधियारा है, धुंध घना सा,
रहें उन्हीं में लिपटे से !
कई कथाएं जुड़ी हुई हैं,
राज छिपे गहरे,गहरे !!
धर्म प्रतीक, कई देवालय,
जहाँ रहस्य गहराता है !
मनुज लगाता दौड़ यहॉं की,
हाथ नहीं कुछ पाता है !
कथा, प्रथा है बाँधे रखती,
ध्वजा धर्म की है फहरे !!
मानव जीवन इक रहस्य है,
कौन इसे सुलझा पाया !
भेद पहेली का जाना तो,
लौट नहीं जग में आया !
जितना सधा हुआ है जीवन,
उतना मन भी है निखरे !