रहस्य
रहस्य
रहस्यमयी समय था।
समझ ही नहीं पाया था।
समय ने समझा दी थी....
जिंदगी की अहमियत।
यह .....क्या था।
जहन में यह रहस्य ही गहराया था।
समझ ही नहीं पाया था।
अरसे बाद पास आ के उसने
क्यों.......
कहाँ.......
इतनी दूर जाना था।
सोचता था.....
मैंने तो सब जाना था।
वहम मेरे का यह अंजाम होना था।
अब लगें..... मैं तो बहुत बेगाना था।
रहस्यमयी समय था।
समझ ही नहीं पाया था।
वो अखिरी मंजर,
जो मेरी आंखों में गहराया था।
उस की आंखों के डर को,
क्यों नहीं पढ़ पाया था।
रहस्यमयी समय था।
समझ ही नहीं पाया था।
उन आंखों को पढ़ पाता।
किस रहस्यमयी ,
दुनिया में जा रहा था।
कुछ शब्दों को तो छोड़ जाता।