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ANURAG ARORA

Tragedy

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ANURAG ARORA

Tragedy

मशीन

मशीन

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कभी हाथ पर लगी

कभी कान को चढ़ी

कभी नज़रों का सहारा हैं बनी मशीन

यही देती अंधेरी रातों को रोशनी

आँखों की रोशनी भी छीने मशीन


भ्रष्टाचार अज्ञानता और प्रदूषण

देश के दुश्मन हुए ये तीन

रोज लुट रही सोने की चिड़िया

फलता फ़ूलता अब चीन


प्यार भरा आशियाना कहा बसाऊ

महंगी हुई आज ज़मीन

मशीन ही छापती पैसा रूपैया

इंसान बन कर रह गया

पैसा कमाने की मशीन


हमने छू ली जैनेटिक्स की ऊंचाइया

इंसानियत के ख़त्म हुए जीन

आधुनिक हुआ युग

चिमनियाँ लगी जुबान पर

दिल में भरा नफरतों का धुआं

धीरे धीरे इंसान बना मशीन।


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