STORYMIRROR

sarika k Aiwale

Abstract

3  

sarika k Aiwale

Abstract

रहने दे थोडी खामोशियाँ

रहने दे थोडी खामोशियाँ

1 min
244

रहने दे थोडी खामोशियाँ 

सर्द निगाहों की कहानियाँ 

इकरार की गलत फ़हमियाँ 

इजहार की गुस्ताखियाँ


काफी हैं तेरे लिये बेरुखियाँ 

गीली पल्कों की नादानियाँ 

उल्फतो से कर तौबा ये दिल 

नजिब नही हालत ए दौर 


घिरी घिरी हुई है वादियाँ 

कायनात के इशारोँ मे बेवजह 

न कर ये दिल बेगुमनियाँ 

ना था वास्ता जिस गली से 


उस फिजा की रवानी पर 

दिवानगी लुटायाँ न कर

दस्तक यह नही वाजिब के 

राहतों मैं कसक सी चुभन हैं


हँसी मै दबी एक कहानी

सुन कुछ कहती जरुर हैं!




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract