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sarika k Aiwale

Abstract

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sarika k Aiwale

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रहने दे थोडी खामोशियाँ

रहने दे थोडी खामोशियाँ

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रहने दे थोडी खामोशियाँ 

सर्द निगाहों की कहानियाँ 

इकरार की गलत फ़हमियाँ 

इजहार की गुस्ताखियाँ


काफी हैं तेरे लिये बेरुखियाँ 

गीली पल्कों की नादानियाँ 

उल्फतो से कर तौबा ये दिल 

नजिब नही हालत ए दौर 


घिरी घिरी हुई है वादियाँ 

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em>कायनात के इशारोँ मे बेवजह 

न कर ये दिल बेगुमनियाँ 

ना था वास्ता जिस गली से 


उस फिजा की रवानी पर 

दिवानगी लुटायाँ न कर

दस्तक यह नही वाजिब के 

राहतों मैं कसक सी चुभन हैं


हँसी मै दबी एक कहानी

सुन कुछ कहती जरुर हैं!




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