रहा हूँ मैं
रहा हूँ मैं
तुझे पढ़ता रहा हूँ मैं,
यूँ ही चलता रहा हूँ मैं,
तेरी जुल्फों के साए मैं,
रात दिन संवरता रहा हूँ मैं।
तेरे माथे की बिंदिया देख,
यूँ ही खिलता रहा हूँ मैं,
तेरी कातिलाना नजरों पे,
यूँ ही मरता रहा हूँ मैं।
तेरे कानों के झुमको में,
यूँ ही उलझता रहा हूँ मैं,
तेरे होठों की लाली देख,
आँहे भरता रहा हूँ मैं।
अपने दिल के तहखाने में,
तेरी तस्वीर लगाकर,
हर पल तुझे महसूस,
करता रहा हूँ मैं।
तेरी पायलों की झुनझुन में,
यूँ ही चहकता रहा हूँ मैं
अपने तकिए को सीने से लगाकर,
तेरा आलिंगन करता रहा हूँ मैं।
तेरी खूबसूरत यादों में,
रात भर जागता रहा हूँ मैं,
बस कुछ इस तरह,
तुझे प्यार करता रहा हूँ मैं।

