राष्ट्रभाषा हिन्दी
राष्ट्रभाषा हिन्दी
सबके मन को वो भाती है
मातृभाषा वो कहलाती हैं
सबके दिलों पर छा जाती है
जन्म से जो वाणी आती है
वो भाषा ही हिंदी कहलाती है
अ से शुरू होकर ज्ञ तक जाती है
हर वर्ण में विज्ञान सिखाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
उर्दू जिसकी प्यारी सी बहिन है
संस्कृत की वो पुत्री कहलाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
बिना इसके क्या गणित,
क्या विज्ञान
सब विषयों की ममतामयी
माता कहलाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
गुप्तजी ने हिंदी का मान बढ़ाया,
सैनिकों का वो ओज बढ़ाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
हमारी सब भावनाओं में वो है
हमारे हृदय का वो गीत गाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
छायावाद है इसका प्यारा रूप
प्रकृति को वो मानव बनाती है
महादेवी वर्मा ने गाई है इसकी
महिमा,
तुलसी ने गाये है गीत इसके
मीरा,सुर के पदों में वो आती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी को
आधुनिक अनिल बनाया,
दिनकर के पदों में वो
अनल बन जाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
गर्व करता हूं
हिंदी बोलता हूं
कर्म करो गर कबीर सा
ख़ुदा से भी है,वो मिलाती है
वो भाषा हिंदी कहलाती है
