रामचन्दर मिलेगा
रामचन्दर मिलेगा
मामूली न समझ, ठोकर न मार
इन्हीं पत्थरों में, इन्हीं कंकर में
तुम्हें शंकर मिलेगा
जिन्हें आम और बेदाम समझ उपहास कर रहे हो
ध्यान से देख, आदमियों की भीड़ में
इन्हीं के बीच, कोई तीर्थंकर मिलेगा
समय रहते समझते नहीं
बीते समय में अनुयायी हो जाते हो
अपने को खोकर सब पाते हो
ध्यान से रगड़ खुद को
दूसरों से कुछ नहीं होगा
मनोयोग से पकड खुद को
खुद में भूला बिसरा कोई पैगंबर मिलेगा
नासमझी से अपनी
स्वयं की कितनी हानि
बेगैरत जवानी की, बकवास भरी कहानी
लाख सजदा कर, माथा रगड़ हजार
कुछ न पड़ेगा फर्क़
अपने अंदर झांकने से
आनंद, प्रेम, करुणा का रामचन्दर मिलेगा.