राम राज्य
राम राज्य
सपने में मैं पहुंचा एक दिन
त्रेता युग, अयोध्या गांव था
सुँदर देश वो लग रहा था
राजा का वहां नाम राम था।
मेहनत कश भी खुश बहुत थे
भर पेट मिलता खाना था
धनवान को भी कोई चिंता न थी
चोर न कोई आना था।
सेना भी थी बड़ी दयालु
रक्षा प्रजा की करती थी
मासूमों को न वो सताए
किसी से वो न लड़ती थी।
दरबारी और मंत्रीगण सब
यही सोचते रहते थे
कर्म हो ऐसा, देश संपन्न हो
सबको यही वो कहते थे।
राजा की तो बात ही छोडो
ईश्वर के अवतार थे
शांत थे पर अधर्म से हर पल
लड़ने को तैयार थे।
ऋषि-मुनि उनके राज्य में
शास्त्र की शिक्षा देते थे
वन में रहते, तप वो करते
धन कोई न लेते थे।
प्रकृति और जीव-जंतु का
ध्यान लोग भी रखते थे
धरती उनको खूब फसल दे
पेड़ फलों से लदते थे।
इंद्र की कृपा थी सब पर
वक्त पर वर्षा होती थी
न कभी बाढ़ थी, न कभी सूखा
प्रजा चैन से सोती थी।
किसी से कोई मन मुटाव न
अपने कर्म सब करते थे
जो मिल जाता, उसमें खुश थे
औरों से न जलते थे।
सुबह उठा मैं, मन में सोचा
देश मेरा ऐसा हो जाये
ऐसी प्रजा और सब मंत्रीगण
राम राज्य जैसा हो जाये।
