STORYMIRROR

Reena Goyal

Abstract

4  

Reena Goyal

Abstract

राम राज्य की चाह करें

राम राज्य की चाह करें

1 min
285

पहले फूंको कलुष भाव को, निज दोषों का दाह करें 

बाद जला रावण का पुतला, राम राज्य की चाह करें।


कितने ही दानव सड़कों पर, रावण बने विचरते हैं

और तमाशा देख रहे हम ,कभी कहाँ कुछ करते हैं

अपने सब उत्तर दायित्वों का मन से निर्वाह करें

बाद जला रावण का पुतला, राम राज्य की चाह करें।


अनाचार में लिप्त हुए सब, तज कर सारी मर्यादा

मायावी मारीच दौड़ते, धरा वेष सीधा-सादा

अंध भक्त मत बनो कभी भी, सत्य कदम की राह करें

बाद जला रावण का पुतला, राम राज्य की चाह करें।


हत्या चोरी, सीना- जोरी, व्याप्त देश में आज है

पड़ी व्यवस्था गलत हाथ में, बिन मेहनत बिन काज है

नेता बने अयोग्य जब -जब, विवश सभी जन आह करें

बाद जला रावण का पुतला, राम राज्य की चाह करें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract