STORYMIRROR

Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Classics

3  

Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Classics

राखी और आज़ादी

राखी और आज़ादी

1 min
275

इस बार, राखी का त्यौहार,

हमने यूँ मनाया।

साथ में स्वतंत्रता दिवस,

का तिरंगा भी फहराया।


पुलवामा के अमर शहीदों,

का किया हमने अभिनंदन।

कश्मीर में भी भारत का ही,

झंडा हमने लहराया।


शीला, सुषमा के राजनैतिक,

योगदान हमने स्मरण किये।

चंद्रयान 2 का भी हमने,

सफल प्रक्षेपण किया।


फिर भी सही मायने में हमें,

आज़ादी मनाना बाक़ी है।

हर नारी को सम्मान दिलाना,

नर को अभी बाक़ी है।


राखी के धागे की डोर,

का मतलब समझो हे भाईयों।

किसी नारी को बेईज्जत करके,

घनघोर पाप तुम मत करियो

घनघोर पाप तुम मत करियों।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics