राजनीति के दोहे
राजनीति के दोहे
राजनीति के दोहे
कलयुग कैसा आया भईया
राजनीति बनी व्यापार
भाई भाई में मेल नहीं
कुर्सी पहला प्यार
दल बदल की राजनीति
दल दल की सरकार
सब नेता के ख़्वाब में
कुर्सी और कार
शेर बकरी एक घाट पर
सांप नेवला संग
राजनीति का रंग देखकर
जनता हो गयी दंग
करोड़ों के घोटाले अब
नेताओं के नाम दर्ज
जनता को ही चुकाना
अरबों का अब कर्ज
कुर्सी की खींचतान में
घायल हुआ लोकतंत्र
राजनीति में अब जायज़ हुआ
छल बल और षडयंत्र