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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Drama Action

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Drama Action

राजनैतिक आंदोलन

राजनैतिक आंदोलन

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अब कहां होते हैं राजनैतिक आंदोलन 

अब तो अराजक आंदोलन होने लगे हैं 

लोग हाइवे को जाम कर बैठने लगे हैं 

अपनी नाजायज मांगों को मनवाने हेतु

आम जनता के अधिकारों से खेलने लगे हैं।


जनता ने जिन्हें अपने वोट की ताकत से 

घर पर.बैठाकर आराम करने को कहा था 

वे "खानदानी लोग" भोली भाली जनता को 

उल्लू बनाकर अपना हित साधने में लगे हैं 


जनता के खून पसीने से बनाई गई 

सार्वजनिक संपत्ति की तोड़ फोड़ में लगे हैं 

कभी किसी जाति के नाम पर तो कभी 

किसी खास धर्म के नाम पर उपद्रव कर रहे हैं


जब इनसे भी दाल ना गली तो ये देशद्रोही

किसानों के नाम पर अराजकता फैला रहे हैं

मगर ये पब्लिक है, ये सब जानती है, मूर्ख नहीं 

तुम्हारे "ईकोसिस्टम" के झांसे में आने वाली नहीं 


इन चुनावों में उसने अपनी बुद्धमत्ता का परिचय दिया

अराजकता समर्थकों को कचरा पात्र में फेंक दिया 

अब समय बदल चुका है, लोग समझदार हो गए हैं

तुम्हारी जाति, धर्म की राजनीति को समझ गये हैं 


बदले दौर में तुम भी बदल जाओ तो अच्छा है 

वरना लगने वाला अब बहुत बड़ा धक्का है 

वक्त के साथ जो चला , मंजिल उसी ने पाई है 

अराजकतावादियो संभल जाओ, इसी में भलाई है।


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