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Gagandeep Singh Bharara

Abstract

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Gagandeep Singh Bharara

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राज़दार

राज़दार

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राज़दार हूं मैं, तेरी शख़्सियत का,

असल में तू कोन, तेरी असलियत क्या ,


गुज़रे वक्त में, तेरी पहचान का,

तेरे कर्म के, असल माने क्या,


अंदर की आवाज़, तेरे अल्फ़ाज़ का,

तेरी हकीकत और तेरी सोच क्या,


मुझे अहसास है, तेरी कमज़ोरी का,

तेरी हिम्मत कहां, तेरा उत्साह क्या,


हूं में अंतरात्मा, तेरे शरीर का,

राहगीर हूं, चलूं साथ चंद लम्हें क्या ।।


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