राही मन
राही मन
खुशनुमा खूबसूरत चमन चाहिए,
दिल की धरती को छूता गगन चाहिए।
फिर से करना तुम्हें अब मनन चाहिए।
मुझसे रखनी नहीं अब जलन चाहिए।
कौन कहता है रहना हमें है अलग,
साथ में हमको करना दफ़न चाहिए।
हैं अलग क्या बताओ हमारे ये मन,
जो समझने को करना जतन चाहिए।
जब कहानी में आये हैं किरदार तो,
एक दिखना नहीं दो बदन चाहिए।
गर हो जाओ ख़फ़ा तुम मेरी बात पर,
याद करना तुम्हें फिर वचन चाहिए।
तुम रहो दूर भी हो मुझे सब खबर,
ऐसे मन से जुड़ा राही मन चाहिए।।