राह
राह
जब जीने का मकसद नजर ना आए
कोई कहीं भी नजर ना आए
हार कर कुछ ना कर ले कभी
मुझे ये भी सही लगने लगा
सतिप्रथा में बुरा क्या है
नहीं जीने कि ख्वाहिश ही कभी
बढ़ गई और कुछ नजर ना आए
तब मेरे दोनों बच्चे मुझे बहुत कुछ सिखाए
मेरे हमसफ़र बन गए
मैंने सीखा उनसे कैसे जीऊ
आ वो मुझे अपनी प्रेरणा बना लिए
मां से सब शुरू मां से ही सब खत्म
मां ईश्वर का वो रूप है
जो चाहता भी हमसे और देता भी सब हमी को
