राधा की तरह
राधा की तरह
मेरी यादों में है तुम्हारा आना-जाना,
जिस्म में सांसों की तरह
मेरी रातों में घुल गए हो
तुम ख्वाबों की तरह।
मेरी जिंदगी के फलक पर
छाए हो तुम महताब की तरह
मेरी मोहब्बत का वो सागर हो तुम,
जिसमें खोना चाहूं मैं नदी की तरह।
यूं तो तुम्हें सोच कर
लिखती हूं गजल,
फिर सोचती हूं तुम्हें
बयां करूं मैं किस तरह।
जो तुम्हें ना पाने का सबब पूछेगा जमाना,
तो कहूंगी वो हर जगह था,
बस मेरी ही किस्मत थी राधा की तरह।
