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Ms. Nikita

Classics

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Ms. Nikita

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प्यासा

प्यासा

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क्यों तू मानव

प्यासा रे ! 

यहाँ-वहाँ क्यों

भागा रे ! 


कब तक भाग्य

तेरा रहेगा

कब तक

साथी-सखा सहेगा


पूर्ण रूप से

तू निर्भय है

आशा रुपी

तू विरले है


विरल नाम तेरा

काम आएगा

जब तू 

संपूर्ण बन जाएगा।


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