प्यार या शक़
प्यार या शक़
प्यार होता है क्या
किस से पुछूँ मैं
जिंदगी की मेरी कहानी
चली कुछ इस तरह
प्यार मिला फिर भी
खाली रही ज़मीन....
किस्मत का खेला खेल
मैं तो कठपुतली बनी
खेली जाती रही....
रास्ता दिखावा था
और अपनी ही कहानी
शक की बुनियाद में
सजती सजाती रही ...।।