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Lata Bhatt

Drama Others

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Lata Bhatt

Drama Others

प्यार करूँ या पूजा

प्यार करूँ या पूजा

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प्यार करूँ या पूजा,

समझ में ही नहीं आता।

मंदिर मैं जाती हूँ

पूजा की थाली लेकर

हाथ आगे ही नहीं बढ़ता

प्रतिमा को कुमकुम लगाने,

अबीर गुलाल चंदन हाथ में ही रहा जाता है।

धूप की खुशबू फीकी लगती है,

मेरी सांस की महक के आगे,

सिर्फ दिया जलाती हूँ

वह भी मेरे दिल में,

देखती हूँ कन्हैया की मूरत.

ये तो मेरा कृष्ण कन्हैया नहीं,

जिसके पास बैठा जाए,

कुछ कहा जाए

कुछ सुना जाए

बांसुरी न जाने कहाँ से आ जाती है

और एक सांवली सूरत उसे बजाने लगती है।

मैं वही बेठ जाती हूँ

पीछे से आवाज आती है,

आगे बढ़ो आगे बढ़ो

सब को दर्शन करना है

और में चुपचाप चली आती हूँ वहाँ से,

खुद को लेकर

लोग कहते है मैं नास्तिक हूँ।



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