प्यार की मिठास
प्यार की मिठास
बचपन में जब मन न होता
खाना तब हम नहीं थे खाते
माँ जब हाथ से थी खिलाती
झट से सारा चट कर जाते।
दुर्योधन से पहुंचे मिलने
विदुर जी बोले घर पर आना
विदुरानी मिलने को आतुर
कहा है खाना खा के जाना।
दुर्योधन ने कहा कि हमने
छप्पन भोग हैं बनाये
राजभोग को छोड़ कृष्ण तब
साग विदुर का प्रेम से खाएं।
वन से आकर राजमहल में
एक दिन राम जब खाना खाएं
खीर पुआ और जाने क्या क्या
व्यंजन उनके लिए बनाये।
सीता जी बोलीं राम से
कैसा बना , खा के बताओ
राम बोले स्वादिष्ट है पर
शबरी के बेर मुझे याद आएं।
सबसे मीठा स्वाद प्रेम का
चखा हो जिसने भूल न पाए
ढेर व्यंजन न लगें अच्छे
प्यार की सूखी रोटी भाये।