STORYMIRROR

Sanjay Jain

Abstract

3  

Sanjay Jain

Abstract

प्यार की डगर

प्यार की डगर

1 min
12.1K


छोड़ दो तुम मोहब्बत करना अब

ये तुम्हारे बस की बात नहीं

इसमें त्याग तपस्या ज्यादा है

तुम इसे शायद कर सकते नही

छोड़ दो तुम मोहब्बत करना अब।


मन को मन से मिलाना, 

तुम्हें आता नहीं

दिल को दिल से 

क्या तुम मिलाओगे

है गर तुम को 

मोहब्बत सचमुच में

तो विश्वास करना तुम

सीख लो जरा

छोड़ दो तुम मोहब्बत करना अब

ये तुम्हारे बस की बात नहीं।


है मोहब्बत की डगर

बहुत ही कठिन

जिस में कांटे ही 

कांटे चुभते हैं

जो भी इस राह को 

अपने लिए चुने

वो ही मोहब्बत अपनी

पा सकता है,

छोड़ दो तुम मोहब्बत करना अब

ये तुम्हारे बस की बात नहीं।


अपनी मोहब्बत को आबाद 

करना चाहते हो

तो स्नेह प्यार को 

दिलो में जिंदा रखो,

दोनों के दिल अगर 

एक हो गए हैं

ऐसी मोहब्बत ही दुनियाँ में 

अमर हो जाती है,

छोड़ दो तुम मोहब्बत करना अब

ये तुम्हारे बस की बात नहीं।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract