STORYMIRROR

Monika Sharma "mann"

Abstract

4  

Monika Sharma "mann"

Abstract

पुरुषोत्तम राम

पुरुषोत्तम राम

1 min
393

मर्यादा का नाम न लो पुरुषोत्तम का तम् न रहा 

ना वह अयोध्या रही है ना त्रेता का राम रहा।


कंस और रावण से भरा यह संसार है मात्र

भक्ति को पग पग ठगता यह कलियुग का वार है।


दुराचारों व दुष्शासनों से भरा यह संसार है 

द्रोपदी का चीर व सीता हरण करता यह कुपित संसार है। 


ना कृष्ण की नगरी रही ना राम का वह राज्य रहा

विनाशकारी कृत्यों से कलियुग का होता प्रचार है।


चाहिए गर द्वारिका और अयोध्या तो निज प्रण लेना होगा 

हर एक पुरुष को राम तो हर एक स्त्री को सीता बनना होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract