पुरुषोत्तम राम
पुरुषोत्तम राम
मर्यादा का नाम न लो पुरुषोत्तम का तम् न रहा
ना वह अयोध्या रही है ना त्रेता का राम रहा।
कंस और रावण से भरा यह संसार है मात्र
भक्ति को पग पग ठगता यह कलियुग का वार है।
दुराचारों व दुष्शासनों से भरा यह संसार है
द्रोपदी का चीर व सीता हरण करता यह कुपित संसार है।
ना कृष्ण की नगरी रही ना राम का वह राज्य रहा
विनाशकारी कृत्यों से कलियुग का होता प्रचार है।
चाहिए गर द्वारिका और अयोध्या तो निज प्रण लेना होगा
हर एक पुरुष को राम तो हर एक स्त्री को सीता बनना होगा।
