पुरुष
पुरुष
मैं उन्मुक्त हूँ
सशक्त हुँ
हर कार्य के लिए
प्रयासरत हूँ
हर कदम
दिया तुम्हारा साथ
हर पल थामे रही
तुम्हारा हाथ
लेकिन
तुम समझ न पाए
मेरी इच्छाओ को
भावनाओ को
हर पल किया
अपमानित
क्यो ?
क्योंकि तुम पुरुष हो
आखिर क्यों ?
मैं उन्मुक्त हूँ
सशक्त हुँ
हर कार्य के लिए
प्रयासरत हूँ
हर कदम
दिया तुम्हारा साथ
हर पल थामे रही
तुम्हारा हाथ
लेकिन
तुम समझ न पाए
मेरी इच्छाओ को
भावनाओ को
हर पल किया
अपमानित
क्यो ?
क्योंकि तुम पुरुष हो
आखिर क्यों ?