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Manu Sweta

Tragedy

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Manu Sweta

Tragedy

पुरुष

पुरुष

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मैं उन्मुक्त हूँ

सशक्त हुँ

हर कार्य के लिए

प्रयासरत हूँ

हर कदम 

दिया तुम्हारा साथ

हर पल थामे रही

तुम्हारा हाथ

लेकिन

तुम समझ न पाए

मेरी इच्छाओ को

भावनाओ को

हर पल किया

अपमानित

क्यो ?

क्योंकि तुम पुरुष हो

आखिर क्यों ?



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