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S Ram Verma

Abstract

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S Ram Verma

Abstract

पुरुष से परे कुछ भी नहीं है !

पुरुष से परे कुछ भी नहीं है !

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पुरुष ना ही बलात्कार करते हैं

पुरुष ना ही अत्याचार करते हैं


पुरुष ना ही लड़कियों पर टूटते हैं

पुरुष ना ही किसी की आबरू लूटते है


पुरुष सदा ही दिलों को जीतते है

पुरुष सदा ही स्त्रियों को जिताते है  


पुरुष के साये में बीवी बेटी बहन पलती हैं

पुरुष की सांसें उन्ही की दुआओं से चलती है


पुरुष नहीं फेंकते तेज़ाब किसी के देह पर

पुरुष अपनी प्रीत के प्रेम में फनाह हो जाते हैं


पुरुष का देह की मंडियों से कोई सरोकार नहीं होता

पुरुष कभी दहेज़ के लिए उन पर हाथ नहीं उठता


पुरुष बच्चियों के नाजुक बदन से नहीं खेलते

पुरुष बच्चियों को कलियों की तरह सहेजते है


का पुरुष ही बलात्कार करते हैं

का पुरुष ही अत्याचार करते हैं


क्योंकि पुरुष अव्यक्त से परे हैं

और पुरुष से परे कुछ भी नहीं है !


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