STORYMIRROR

Sudha Adesh

Inspirational

4  

Sudha Adesh

Inspirational

पुकार

पुकार

1 min
313

पूजा करते समय

रुई की बत्ती को 

जलते देख अनायास ही 

मेरा अवचेतन कह उठा


यह दीया तुमने 

भगवान के घर को 

प्रकाशित करने के लिए 

जलाया है या अपने मन के 

अंधकार को दूर करने के लिए।


मुझे सोच में पड़ा देखकर 

उसने पुनः कहा

अगर भगवान के 

घर को प्रकाशित 

करने के लिए जलाया है 

तो वहाँ तो प्रकाश ही

प्रकाश है

और अगर अपने मन को 

प्रकाशित करने के लिए

जलाया है

तो क्या आज तक तुम 

ईर्ष्या, द्वेष, नफरत को

त्याग कर 

मन को निर्मल कर पाई।


दीया जलाना है तो जलाओ 

प्यार का, सच्चाई का,

ईमानदारी, मानव मात्र की

सेवा का 

वरना मुझ ग़रीब( रुई ) को 

मुक्ति दे दो

व्यर्थ दिखावे के लिए 

मुझे कष्ट मत दो


मैं भगवान के मंदिर में 

जलने की अपेक्षा 

कपड़ों के रूप में 

स्वयं को ढाल कर 

किसी जरूरतमन्द के 

शरीर को ढक कर 

अपने जीवन को 

सफल बनाना चाहती हूँ

मुझे अपने 

स्वाभाविक स्वरूप में

ही रहने दो 

मुझे असमय ही 

विनष्ट मत करो।   



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational