पत्थरों का ज़माना
पत्थरों का ज़माना
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लो आ गया अब जमाना पत्थरों का,
अब कहाँ कोई बैठता नीम के छांव में !
हर तरफ चुनावी चक्र सा चल पड़ा है,
कोयल चुप है तो कागा लगा काँव में !
बड़ी तेज़ धूप और बताश है चारों ओर,
ऐ दिल अब चल चलें ममता की ठाँव में !