पत्रकारिता
पत्रकारिता
पत्रकार का धर्म खबर को सही शुद्ध फैलाना।
देश के शोषित पीडि़त की आवाज को सदा उठाना।
पर अब तो यह पत्रकारिता भी व्यवसाय बनी है।
हनक और धन यश पाने की चाहतअब उमड़ी है।
अधिकाधिक मीडिया तन्त्र नेता व्यवसायी की पूंजी।
इनको प्रचार से अधिक सुहाती नहीं बात कोई दूजी।
भूल से जो जनता के हित मे काम कोई हो जाए।
चले महीनो खबर ऊब जनता शिर धुन पछताए।
जनता की पीड़ा को जब तक स्वर न दिया जाएगा।
एक दिन पत्रकारिता का इतिहास बदल जाएगा।
ऐड और सरकारों के ही समाचार रह जाएंगे।
रोटी तो मिल जाएगी पर नजरो मे गिर जाओगे।
अच्छाई फैलाओ लेकिन त्रुटि को भी बतलाओ।
एक पहलू की तरफ न झुक अपना कर्तव्य निभाओ।
कलम की ताकत को समझो यह क्रांति कराने वाली है।
युग युग तक कलंक यश गाथा को पहुंचाने वाली है।।
