पथ के राही
पथ के राही
दिशाएं भूल कर क्या,
हम सही पथ पर जा रहे हैं,
हम किस ओर राही,
अनजान सफर पर जा रहे हैं।
कि ठिकाने नही पता,
फिर भी चलते जा रहे हैं
हम किस ओर राही
अंजान सफर पर जा रहे हैं।
कभी तिनकों की आहट में
तब्दील कर इरादे
चोटिल भी हो हृदय पर,
कर रहे हैं फिर भी वादे।
हम क्या खुद ही खुद से,
नजरें मिला पा रहे हैं,
हम किस ओर राही,
अंजान सफर पर जा रहे हैं।