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Shilpi Goel

Abstract Classics Inspirational

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Shilpi Goel

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पर्यावरण

पर्यावरण

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मिलजुल कर हम-तुम लेते हैं यह प्रण,

महकता रहे सदा अपना यह पर्यावरण।

जंगल, झरने, पर्वत और उपवन सारे,

कहलाते हैं यहाँ सब मित्र हमारे।

समझ लो इस क्षण मेरी यह बात,

इन्हीं से धरा पर होती जीवन की शुरुआत।

मूक पशु और पक्षी हैं जो सारे,

बैर नहीं तुम करो उनसे प्यारे।

चाहते हो अगर बचाना जीवन,

तो बचाना होगा अपना पर्यावरण।

हरा-भरा तुम्हें इसको रखना है,

फले-फूले बस यही एक सपना है।

सुन्दर-सलोनी सी धरा सज उठती है,

लहलहाते खेतों पर जब किरणें पड़ती है।

ओढ़कर धानी रंग की चुनरी,

झूम उठती यह ध्यान बावरी।

कल-कल करती बहती नदियाँ,

सहन करती जाने कितनी त्रासदियाँ।

समय-समय पर करकर इसको जल प्रदान,

देना होगा स्वयं और इन सबको जीवन दान।

स्वच्छता का ख्याल हमें रखना होगा,

वर्ना पर्यावरण बचाना बस एक सपना होगा।

सबसे शक्तिशाली शत्रु है प्रदूषण,

बचाओ इससे अपना पर्यावरण। 


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