पर्यावरण
पर्यावरण
पेड़ बोला मत काट मुझे मुझसे ही है
इस धरती का हरा भरा उपवन
नदी कहे मत गंदा कर मुझे मुझसे ही है
तेरे जीवन में है निर्मलता व स्वच्छता..!
ध्वनि ने कहा मत शोर मचा इतना
क्यूं बनना चाहता है तू गूंगा और बहरा..!
हवा बोली क्यूं घोलता है ज़हर पर्यावरण में
ज़ाम कर दूंगी मैं तेरे सांसों की नली..!
मिट्टी ने रोकर कहा छीन ली मेरी उर्वरता तूने
घायल कर मुझे कीटनाशक दवाइयों को
मेरी छाती पर उड़ेल कर कुछ तो रहम कर मुझ पर।
