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Shree Prakash Yadav

Abstract Tragedy Others

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Shree Prakash Yadav

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प्रवासी मजदूरों की बेवसी

प्रवासी मजदूरों की बेवसी

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सियासत दानों कुछ तो शर्म करो

कब तक आइस-पाइस खेलते रहोगे।

लॉकडाउन मेेंश्रमिकों का रोजगार छिन गया

भूख ,बेबसी एवं चिंता और पैरों में छाले रह गया।


मजदूरों की मजबूरी पर

सिर्फ भाषण वाजी कब तक करोगे सरकार।

सिर पर गठरी में रोजगार छिन जाने का दर्द है

किसी का नाम सुहेल तो किसी का शकील है।


लाखों मजदूर, हजारों किलोमीटर पैदल ही चल दिए

बेचारे करते क्या बेवसी का यही हल है।

पुलिस के डर से भयभीत हो कर

रेलवे, जंगल एवं नदी के किनारे से निकल लिए।

देख तेरे मजदूर की क्या हालत हो गई है सरकार

माँ, बैग वाली ट्राली में बांधकर बच्चे को घसीट रही हैै।


तो अन्य श्रमिक लकड़ी की ट्राली वाली गाड़ी पर

गर्भवती पत्नी एवं बच्चे सहित खींच रहा है।

कोई साइकिल तो कोई बैलगाड़ी लिए है

हद तो तब हो गई कि बैलगाड़ी में खुद ही जुड़े हैं।


रास्ते में बच्चे को जन्म दे रही है माँ

पति की रास्तेे में मृत्यु पर विधवा हो रही है माँ।

सबको अपना घर प्यारा होता है

इस हौसले से चल रहेे हैं मजदूर।


चलते चलते चले जा रहे हैं मजदूर

रास्ते में हादसे के शिकार हो रहे हैं मजदूर।

घर भी नहींं पहुंचे अपने मजदूर

रास्ते में ही हो गए उनसे दूर।


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